ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Bruner's Theory of Cognitive Development in Hindi)

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ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

(Bruner's Theory of Cognitive Development in Hindi)

परिचय

शिक्षा मनोविज्ञान में जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner) का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि बच्चे ज्ञान को कैसे ग्रहण करते हैं और इसे आगे कैसे उपयोग में लाते हैं। उनका संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Cognitive Development Theory) यह बताता है कि बच्चे किस तरह अनुभवों, प्रतीकों और भाषा के माध्यम से सीखते हैं।

ब्रूनर का मानना था कि सीखने की प्रक्रिया केवल परिपक्वता (Maturation) पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह अनुभव, संस्कृति और समाज से भी प्रभावित होती है।


ब्रूनर का जीवन परिचय

  • पूरा नाम: जेरोम सेम्युअल ब्रूनर (Jerome Seymour Bruner)
  • जन्म: 1 अक्टूबर 1915, न्यूयॉर्क, अमेरिका
  • मृत्यु: 5 जून 2016
  • मुख्य योगदान: संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत, डिस्कवरी लर्निंग (Discovery Learning), स्पाइरल करिकुलम (Spiral Curriculum)

ब्रूनर ने शिक्षा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए, जिनका प्रभाव आज भी शिक्षाशास्त्र में देखा जाता है।


ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

ब्रूनर के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का सक्रिय रूप से निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि बच्चे नई जानकारी को पुरानी जानकारी से जोड़कर समझते हैं और इसे खुद से खोजते (Discover) हैं।

ब्रूनर के तीन चरण (Modes of Representation)

ब्रूनर ने बताया कि सीखने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है:

  1. एनेक्टिव चरण (Enactive Stage) – क्रियात्मक ज्ञान (0-3 वर्ष)

    • इस चरण में बच्चे व्यावहारिक अनुभवों से सीखते हैं।
    • बच्चे चीजों को स्पर्श करके, महसूस करके और करके सीखते हैं।
    • उदाहरण: बच्चा गेंद को उछालकर यह समझता है कि वह कैसे गति करती है।
  2. आइकॉनिक चरण (Iconic Stage) – चित्रात्मक ज्ञान (3-7 वर्ष)

    • बच्चे चित्रों और मानसिक छवियों (Images) के माध्यम से सीखते हैं।
    • इस चरण में भाषा का विकास शुरू होता है।
    • उदाहरण: बच्चा सेब देखकर समझ सकता है कि यह खाने योग्य फल है।
  3. सिंबोलिक चरण (Symbolic Stage) – प्रतीकात्मक ज्ञान (7 वर्ष और आगे)

    • इस चरण में बच्चा शब्दों, संख्याओं और प्रतीकों के माध्यम से सीखता है।
    • उच्च-स्तरीय सोचने की क्षमता विकसित होती है।
    • उदाहरण: गणितीय संख्याओं और भाषा का उपयोग।

ब्रूनर की प्रमुख अवधारणाएँ (Major Concepts of Bruner's Theory)

1. डिस्कवरी लर्निंग (Discovery Learning)

ब्रूनर ने कहा कि बच्चों को खुद चीजों की खोज (Discover) करनी चाहिए, बजाय उन्हें सीधा उत्तर देने के
उदाहरण: यदि बच्चे को जोड़ (Addition) सिखाना है, तो उसे खुद से गणनाएँ करने दें, ताकि वह प्रक्रिया को समझे।

2. स्पाइरल करिकुलम (Spiral Curriculum)

ब्रूनर के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया एक चक्र के रूप में होती है। किसी भी विषय को बार-बार पढ़ाया जाए, लेकिन हर बार उसकी जटिलता बढ़ती जाए
उदाहरण:

  • पहली कक्षा में जोड़-घटाव,
  • तीसरी कक्षा में गुणा-भाग,
  • छठी कक्षा में बीजगणित।

3. मांगलिक अनुकरण (Scaffolding)

  • बच्चों को सीखने में सहायता दी जानी चाहिए, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें स्वतंत्र रूप से सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए
  • शिक्षक को शुरुआत में मार्गदर्शन देना चाहिए, फिर बच्चे को स्वयं सीखने देना चाहिए।
  • उदाहरण: साइकिल चलाना सिखाने में पहले सहायता देना, फिर धीरे-धीरे छोड़ देना।

4. संस्कृति और भाषा का प्रभाव (Cultural Influence on Learning)

ब्रूनर ने कहा कि संस्कृति, भाषा और समाज बच्चे के सीखने को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण: एक हिंदी भाषी बच्चा हिंदी में गणित के प्रश्न जल्दी समझेगा, जबकि एक अंग्रेज़ी भाषी अंग्रेज़ी में।


ब्रूनर बनाम पियाजे सिद्धांत तुलना


शिक्षा में ब्रूनर के सिद्धांत का उपयोग

  1. प्रयोगात्मक शिक्षण (Activity-Based Learning)
  2. खोज आधारित शिक्षा (Discovery Learning)
  3. धीरे-धीरे कठिनाई स्तर बढ़ाना (Spiral Curriculum)
  4. प्रभावी शिक्षण के लिए दृश्य और प्रतीकात्मक सामग्री का उपयोग

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत क्या है?

ब्रूनर का सिद्धांत यह बताता है कि बच्चे अनुभव, चित्र और प्रतीकों के माध्यम से सीखते हैं।

2. ब्रूनर और पियाजे के सिद्धांत में क्या अंतर है?

ब्रूनर का मानना था कि सीखना सांस्कृतिक प्रभावों और भाषा से प्रभावित होता है, जबकि पियाजे ने इसे परिपक्वता आधारित बताया।

3. ब्रूनर के तीन चरण कौन से हैं?

  1. एनेक्टिव (Enactive) – क्रियात्मक सीखना
  2. आइकॉनिक (Iconic) – चित्रात्मक सीखना
  3. सिंबोलिक (Symbolic) – प्रतीकात्मक सीखना

4. स्पाइरल करिकुलम क्या है?

स्पाइरल करिकुलम का अर्थ है एक ही विषय को बार-बार पढ़ाना, लेकिन हर बार उसकी गहराई बढ़ाना

5. ब्रूनर के सिद्धांत का शिक्षण में क्या उपयोग है?

ब्रूनर का सिद्धांत शिक्षकों को क्रियाशील शिक्षा, खोज-आधारित शिक्षण और दृश्य सामग्री के उपयोग पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है।


निष्कर्ष

ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत शिक्षा प्रणाली में खोज पर आधारित शिक्षा, चरणबद्ध विकास और सांस्कृतिक प्रभाव को महत्व देता है। उनके सिद्धांत से शिक्षा को अधिक रोचक, प्रभावी और व्यावहारिक बनाया जा सकता है।

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