पावलॉव की शर्तबद्ध अनुक्रिया (Conditioned Response) सिद्धांत

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पावलॉव की शर्तबद्ध अनुक्रिया (Conditioned Response) सिद्धांत

परिचय

मनुष्य और जानवरों के व्यवहार को समझने के लिए कई वैज्ञानिकों ने प्रयोग किए हैं। इनमें से एक प्रमुख नाम इवान पावलॉव (Ivan Pavlov) का है, जिन्होंने शर्तबद्ध अनुक्रिया सिद्धांत (Classical Conditioning Theory) प्रस्तुत किया। इस सिद्धांत में बताया गया कि किस प्रकार कोई नया व्यवहार या प्रतिक्रिया सीखने की प्रक्रिया में विकसित हो सकता है।

इस लेख में हम विस्तार से पावलॉव के सिद्धांत, उनके प्रयोग, इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव और व्यावहारिक उपयोग के बारे में चर्चा करेंगे।


पावलॉव कौन थे?

इवान पावलॉव (1849-1936) एक रूसी वैज्ञानिक थे, जिन्होंने मुख्य रूप से फिजियोलॉजी (शरीर विज्ञान) और मनोविज्ञान के क्षेत्र में काम किया। उन्हें 1904 में नोबेल पुरस्कार मिला। पावलॉव का प्रसिद्ध प्रयोग कुत्तों पर आधारित था, जिससे उन्होंने यह सिद्ध किया कि कैसे कोई नया व्यवहार सीखा जा सकता है


पावलॉव का प्रसिद्ध प्रयोग (Pavlov’s Experiment)

प्रयोग की रूपरेखा

पावलॉव ने एक कुत्ते पर प्रयोग किया और देखा कि किस प्रकार वह भोजन मिलने से पहले ही लार (saliva) छोड़ना शुरू कर देता है। इस प्रयोग को समझने के लिए आइए इसे चरणबद्ध तरीके से देखें।

प्रयोग के चरण

1. प्राकृतिक प्रतिक्रिया (Unconditioned Response)

  • जब पावलॉव ने कुत्ते को भोजन दिया, तो उसने स्वाभाविक रूप से लार गिराई।
  • यहाँ भोजन एक अविकसित उद्दीपन (Unconditioned Stimulus, UCS) था।
  • लार गिराना एक अविकसित प्रतिक्रिया (Unconditioned Response, UCR) थी।

2. तटस्थ उद्दीपन (Neutral Stimulus) का परिचय

  • पावलॉव ने भोजन देने से पहले घंटी (Bell) बजाई।
  • शुरुआत में, कुत्ते ने केवल घंटी सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

3. घंटी और भोजन का बार-बार संयोजन

  • उन्होंने घंटी बजाकर तुरंत भोजन देना शुरू कर दिया।
  • कुछ समय बाद, कुत्ते ने घंटी की आवाज़ को भोजन के साथ जोड़ना सीख लिया।

4. शर्तबद्ध अनुक्रिया (Conditioned Response) का विकास

  • जब घंटी बार-बार भोजन के साथ दी गई, तो कुत्ते ने केवल घंटी बजने पर भी लार छोड़ना शुरू कर दिया।
  • अब घंटी शर्तबद्ध उद्दीपन (Conditioned Stimulus, CS) बन गई थी।
  • लार गिराना शर्तबद्ध अनुक्रिया (Conditioned Response, CR) बन गया।

इस प्रयोग ने सिद्ध किया कि किसी भी जानवर या व्यक्ति का व्यवहार अनुकूल परिस्थितियों के माध्यम से सीखा जा सकता है।


पावलॉव के सिद्धांत के प्रमुख घटक


पावलॉव के सिद्धांत के वास्तविक जीवन में उपयोग

1. शिक्षा (Education) में

  • बच्चों को अनुशासन सिखाने में।
  • परीक्षा के समय तनाव को कम करने में।

2. चिकित्सा (Medical Field) में

  • फोबिया (Phobia) या डर को कम करने के लिए।
  • नशामुक्ति (De-addiction) में।

3. विज्ञापन (Advertising) में

  • कंपनियां ब्रांड को किसी सकारात्मक भावना से जोड़ने के लिए इसका उपयोग करती हैं।
  • उदाहरण: कोका-कोला हमेशा खुशी के पलों से जुड़ा होता है।

4. खेल और कोचिंग में

  • खिलाड़ियों को एक विशेष ध्वनि या संकेत के प्रति प्रशिक्षित करने के लिए।

पावलॉव के सिद्धांत की सीमाएँ

  • यह सिद्धांत केवल सहज (Reflexive) व्यवहार को समझाने में सहायक है, लेकिन जटिल निर्णय लेने वाले व्यवहार को नहीं।
  • सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले अन्य तत्वों (जैसे प्रेरणा) को यह सिद्धांत नहीं समझाता।

महत्वपूर्ण चित्र (Diagrams)

1. पावलॉव का कुत्ता प्रयोग


2. पावलॉव की शर्तबद्ध अनुक्रिया प्रक्रिया

(एक फ्लो चार्ट जिसमें UCS → UCR, NS → कोई प्रतिक्रिया नहीं, CS → CR दिखाया जाए।)


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. पावलॉव का शर्तबद्ध अनुक्रिया सिद्धांत क्या है?

यह एक सीखने की प्रक्रिया है जिसमें एक तटस्थ उद्दीपन को बार-बार किसी स्वाभाविक उद्दीपन के साथ जोड़ा जाता है, जिससे अंततः वह तटस्थ उद्दीपन भी वही प्रतिक्रिया उत्पन्न करने लगता है।

2. क्या पावलॉव का सिद्धांत केवल जानवरों पर लागू होता है?

नहीं, यह मनुष्यों पर भी लागू होता है, खासकर आदतें और सीखने की प्रक्रियाओं में।

3. पावलॉव के प्रयोग से हमें क्या सीखने को मिलता है?

यह सिद्ध करता है कि सीखना केवल प्राकृतिक प्रवृत्तियों से नहीं होता, बल्कि बाहरी उद्दीपन से भी प्रभावित होता है।

4. क्या पावलॉव के सिद्धांत का उपयोग शिक्षा में किया जा सकता है?

हाँ, शिक्षक सकारात्मक उद्दीपन देकर छात्रों की सीखने की आदत को सुधार सकते हैं।

5. पावलॉव के सिद्धांत और ऑपरेटेंट कंडीशनिंग में क्या अंतर है?

  • पावलॉव का सिद्धांत स्वचालित प्रतिक्रियाओं पर आधारित है।
  • स्किनर का ऑपरेटेंट कंडीशनिंग सिद्धांत पुरस्कार और दंड पर आधारित है।

निष्कर्ष

पावलॉव का शर्तबद्ध अनुक्रिया सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे सीखने की प्रक्रिया किसी बाहरी उद्दीपन से प्रभावित हो सकती है। यह सिद्धांत शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञापन और कई अन्य क्षेत्रों में उपयोगी है।

यदि आप इस विषय में और गहराई से जाना चाहते हैं, तो इसे अपने जीवन में घटित घटनाओं से जोड़कर देखें। आपने कभी सुना होगा कि परीक्षा के समय कुछ छात्रों को घबराहट होती है। यह भी एक शर्तबद्ध अनुक्रिया है!


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